31 मार्च 2012
वाशिंगटन | चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान नील आर्म्सट्रांग और उनके सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों को लेकर जाने वाले अपोलो-11 चंद्रयान के राकेट के पांच इंजन प्रशांत महासागर के तल पर पाए गए हैं। वेबसाइट 'स्पेस डॉट कॉम' के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (नासा) द्वारा 16 जुलाई, 1969 को प्रक्षेपित शक्तिशाली सैटर्न-वी रॉकेट के इंजनों को हाल ही में खोजा गया है।
प्रक्षेपण के दौरान इन इंजनों का इस्तेमाल अपोलो-11 के लिए पावर-बूस्टर के रूप में किया गया था। पहले चरण के सम्पन्न होने के बाद यह रॉकेट मुख्य रॉकेट से अलग हो गया था और समुद्र में गिर गया था।
इसके बाद इसे खोजने की कोशिश हुई लेकिन इस सम्बंध में सभी प्रयास नाकाम रहे। अमेजन डॉट काम के संस्थापक अरबपति व्यवसायी जेफ बेजोस ने हाल ही में एक निजी खोज अभियान के अंतर्गत इन इंजनों को खोज निकाला।
बेजोस के मुताबिक ये अपोलो-11 की ऐतिहासिक यात्रा के गवाह रहे एफ-1 रॉकेट इंजन सही स्थिति में हैं और अब इन्हें निकालकर, दुरुस्त करके आम लोगों के देखने के लिए रखा जाएगा।
बेजोस ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, "मैं सबको यह सूचित करते हुए हर्ष महसूस कर रहा हूं कि हमने अपोलो-11 को प्रक्षेपित किए जाने की प्रक्रिया के दौरान उपयोग में लाए गए पहले रॉकेट के इंजनों का पता लगा लिया है।"
"ये इंजन 14,000 फुट की गहराई पर पाए गए। अब हम इनमें से एक या दो को बाहर लाने और उन्हें दुरुस्त करने का कार्यक्रम बना रहे हैं। हम चाहते हैं कि लोग इन ऐतिहासिक वस्तुओं को देखें।"
नासा ने अपोलो-11 के लिए बेहद शक्तिशाली इंजन बनाए थे। आज जबकि अपोलो के प्रक्षेपण के 40 साल से अधिक समय बीत चुका है, सैटर्न-वी सबसे शक्तिशाली मानव निर्मित रॉकेट बना हुआ है।
इसमें पांच 12.2 फुट (3.7 मीटर) चौड़े एफ-1 इंजन लगाए गए थे। प्रत्येक इंजन की ऊंचाई 18.5 फुट (5.6 मीटर) के बराबर थी। इन इंजनों से 15 लाख पौंड का थ्रस्ट पैदा होता था। यह 3.2 करोड़ अश्वशक्ति के बराबर है।
इस रॉकेट को प्रक्षेपित करने के लिए नासा ने काफी मेहनत की थी और एक अनुमान के मुताबिक इस रॉकेट ने इस प्रक्रिया के दौरान प्रति सेकेंड 6000 पौंड रॉकेट ईंधन पिया था।
बेजोस ने अंत में लिखा है कि आम लोगों को दिखाने के बाद ये इंजन नासा को लौटा दिए जाएंगे। बेजोस ने लिखा है, "एक साल पहले मैं इस विचार के साथ बड़ा अचरज करता था कि क्या लोगों को उन असल वस्तुओं को देखने का सौभाग्य मिल सकेगा, जिनकी मदद से इंसान ने दूसरी दुनिया की सैर की थी। उस समय मैं पांच साल का था और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरी उम्र या फिर किसी भी उम्र का इंसान विज्ञान के इन नमूनों को जरूर देखना चाहेगा। "
नासा ने आम लोगों की प्रदर्शनी के लिए कुछ रॉकेट एफ-1 इंजन वॉशिंगटन डीसी के स्मिथसोनियन नेशनल एअर एंड स्पेस म्यूजियम सहित देश भर के कई स्थान पर रखे गए हैं लेकिन इन इंजनों को कभी उपयोग में नहीं लाया जा सका है।
नासा ने 1967 से 1973 के बीच कुल 65 एफ-1 इंजन 13 सैटर्न-वी रॉकेटों के लिए तैयार किए। नासा ने एक रॉकेट के लिए औसतन पांच एफ-1 इंजनों का निर्माण किया था।
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